किसी भी प्रदेश की पहचान उसके सुशासन, विकास और मजबूत कानून-व्यवस्था से होती है। इन्हीं मानकों के आधार पर उस प्रदेश की राजधानी की भी स्थिति आंकी जाती है। विकास वहीं संभव है जहाँ अराजकता का माहौल न हो और असामाजिक तत्वों पर कानून का स्पष्ट प्रभाव दिखाई दे। यह जिम्मेदारी गृहमंत्रालय की होती है, और सरकार में गृहमंत्री को दूसरा सबसे महत्वपूर्ण पद माना जाता है। इसी कारण अधिकतर मुख्यमंत्री गृह विभाग अपने पास ही रखते हैं या इसे किसी अत्यंत विश्वस्त सहयोगी को सौंपते हैं।

मध्यप्रदेश में मुख्यमंत्री मोहन यादव ने गृह विभाग की जिम्मेदारी स्वयं संभाली है। वे प्रदेश को विकास की ऊँचाइयों तक ले जाने के प्रयासों में जुटे हुए हैं, लेकिन ऐसा प्रतीत होता है कि कानून-व्यवस्था की निगरानी से उनका ध्यान कुछ हद तक हट गया है। अखबारों के पहले पन्नों और शहरभर के होर्डिंग्स पर मुख्यमंत्री का मुस्कुराता चेहरा जरूर दिखता है, परन्तु राजधानी की जमीनी हकीकत कुछ और बयां करती है।

राजधानी में अपराधियों के हौसले बुलंद हैं। गुंडे-बदमाश बेखौफ होकर वारदातों को अंजाम दे रहे हैं। लव जिहाद के नाम पर छात्राओं को प्रेमजाल में फँसाकर दुष्कर्म और ब्लैकमेल करने वाले गिरोह वर्षों से सक्रिय हैं। रेलवे स्टेशन के सामने रात में शराब पी रहे युवक पुलिसकर्मी से मारपीट कर उसकी वर्दी तक फाड़ देते हैं। ट्रैफिक चेकिंग कर रहे पुलिसकर्मियों को बाइक सवार रौंद देते हैं। राह चलते लोगों और पत्रकारों के मोबाइल झपटकर बदमाश फरार हो जाते हैं। बैरक में घुसकर पुलिसकर्मी को गोली मार दी जाती है और जांच टीमों पर हमले हो रहे हैं। लगातार चाकूबाजी की घटनाएं दर्शाती हैं कि अपराधी निडर होकर घुम रहे हैं। अड़ीबाजी, छेड़छाड़ और अभद्रता अब आम हो गई हैं।

मुख्यमंत्री प्रदेश के प्रत्येक छोटे-बड़े आयोजन में अपनी भागीदारी सुनिश्चित कर रहे हैं, लेकिन पुलिस मुख्यालय की समीक्षा बैठकें या थानों के औचक निरीक्षण की खबरें सामने नहीं आ रहीं। जब अपराधियों पर पुलिस की वर्दी का भय नहीं बचा, तो ट्रैफिक नियमों का उल्लंघन भी आम हो गया है।

ऐसे हालात में रामचरितमानस की यह चौपाई सोचने पर मजबूर करती है –
"जासु राज प्रिय प्रजा दुखारी, सो नृप अवसि नरक अधिकारी"।
अर्थात जब शासक को सत्ता तो प्रिय हो, पर प्रजा के कष्टों से कोई सरोकार न रहे, तो ऐसी स्थिति राज्य के लिए अत्यंत चिंताजनक मानी जाती है।
उम्मीद है कि प्रदेश की कानून-व्यवस्था पर भी उतनी ही गंभीरता से ध्यान दिया जाएगा।