अमेरिका की इमिग्रेशन कोर्ट का बड़ा फैसला, महमूद खलील होंगे देश से डिपोर्ट

अमेरिका में पिछले दिनों एक्टिविस्ट महमूद खलील की गिरफ्तारी को लेकर जमकर बवाल मचा. न्यूयॉर्क में ट्रंप टॉवर पर महमूद खलील की गिरफ्तारी को लेकर सैकड़ों प्रदर्शनकारी विरोध करते दिखाई दिए. इसी के बाद अब इस बात पर फैसला लिया जा रहा है कि खलील को देश से डिपोर्ट किया जाएगा या नहीं. 8 मार्च 2025 को हुई गिरफ्तारी के बाद खलील इस समय जेल में है.
अमेरिकी इमिग्रेशन जज ने शुक्रवार को फैसला सुनाया कि फिलिस्तीनी कार्यकर्ता महमूद खलील को निर्वासित किया जा सकता है. दरअसल, महमूद खलील कोलंबिया यूनिवर्सिटी का छात्र है जिसको राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के प्रशासन ने न्यूयॉर्क शहर में एक महीने पहले गिरफ्तार किया था.
कोर्ट ने सुनाया फैसला
फिलिस्तीनी कार्यकर्ता महमूद खलील को निर्वासित किए जाने का फैसला लुइसियाना में लासेल इमिग्रेशन कोर्ट के जज जेमी कॉमन्स ने सुनाया है. हालांकि, इस फैसले के आधार पर ही खलील को निर्वासित नहीं किया जाएगा, यह अंतिम फैसला नहीं था, लेकिन यह विदेशी फिलिस्तीनी समर्थक छात्रों को निर्वासित करने के उनके प्रयासों में रिपब्लिकन राष्ट्रपति के लिए एक महत्वपूर्ण जीत का प्रतिनिधित्व करता है.
विदेश मंत्री ने लिखा पत्र
1952 के इमिग्रेशन और राष्ट्रीयता अधिनियम का हवाला देते हुए, अमेरिका के विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने पिछले महीने निर्धारित किया था कि खलील अमेरिकी विदेश नीति के हितों को नुकसान पहुंचा सकते हैं और उनके “अन्यथा वैध” (Otherwise Lawful) भाषण और सक्रियता के लिए उन्हें निर्वासित किया जाना चाहिए.
रुबियो ने लिखा, यहूदी विरोधी प्रदर्शन और विघटनकारी गतिविधियों में उनकी भूमिका के लिए खलील को यूएस से हटा दिया जाना चाहिए, यह अमेरिका में यहूदी छात्रों के लिए शत्रुतापूर्ण माहौल को बढ़ावा देता है.
हालांकि, रुबियो के पत्र में खलील पर किसी भी कानून को तोड़ने का आरोप नहीं लगाया गया, लेकिन कहा गया कि विदेश विभाग उन अप्रवासियों की कानूनी स्थिति को रद्द कर सकता है जो अमेरिकी विदेश नीति के हितों को नुकसान पहुंचा सकते हैं, भले ही उनकी मान्यताएं, संघ या बयान “अन्यथा वैध” हों.
90 मिनट तक चली सुनवाई
जज ने खलील के वकीलों के विदेश मंत्री मार्को रुबियो को समन करने और 1952 के कानून के तहत उनके संकल्प के लिए उनके पास मौजूद “उचित आधार” के बारे में सवाल करने के प्रस्ताव को खारिज कर दिया. जज का फैसला 90 मिनट की सुनवाई के बाद सामने आया.
कौन हैं मोहम्मद खलील?
खलील, फिलिस्तीन समर्थक छात्र विरोध आंदोलन में एक प्रमुख व्यक्ति है. खलील सीरिया में एक फिलिस्तीनी शरणार्थी शिविर में पैदा हुआ था और वो अल्जीरिया की नागरिकता रखता है और पिछले साल अमेरिका का वैध स्थायी निवासी बन गया है. खलील की पत्नी अमेरिकी नागरिक हैं. गाजा में युद्ध विराम को लेकर खलील कोलंबिया में मुखर तौर पर सामने आए. CUAD समूह के साथ मिलकर इजरायल के साथ आर्थिक संबंधों को तोड़ने की भी मांग की थी.
फिलहाल, खलील लुइसियाना जेल में है, जहां संघीय अधिकारियों ने उसे 8 मार्च को लगभग 1,200 मील (1,930 किमी) दूर कोलंबिया यूनिवर्सिटी के अपार्टमेंट में गिरफ्तारी के बाद ट्रांसफर कर दिया था.
जज कॉमन्स ने निर्वासन आदेश जारी करने पर विचार करने से पहले खलील के वकीलों को राहत के लिए आवेदन करने के लिए 23 अप्रैल तक का समय दिया है. न्यू जर्सी में एक अलग मामले में, अमेरिकी जिला न्यायाधीश माइकल फार्बिअर्ज़ ने खलील के निर्वासन को रोक दिया है, न्यायाधीश खलील के दावे पर विचार करते हैं कि उनकी गिरफ्तारी अमेरिकी संविधान के पहले संशोधन के तहत अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की सुरक्षा का उल्लंघन करते हुए की गई थी.
खलील ने कोर्ट में क्या कहा?
जैसे ही कॉमन्स की कार्यवाही स्थगित हुई, खलील आगे की ओर झुके और अदालत को संबोधित करने के लिए कहने लगे. कॉमन्स झिझकीं, फिर सहमत हो गईं. खलील ने मंगलवार को अपनी सुनवाई में उनकी टिप्पणियों का हवाला देते हुए कहा कि अदालत के लिए “उचित प्रक्रिया अधिकार और मौलिक निष्पक्षता” से अधिक जरूरी कुछ भी नहीं है.
खलील ने कहा, साफ तौर पर हम ने आज जो देखा, इनमें से कोई भी सिद्धांत आज या इस पूरी प्रक्रिया में मौजूद नहीं था. यही वजह है कि ट्रंप प्रशासन ने मुझे मेरे परिवार से एक हजार मील दूर इस अदालत में भेजा है.
खलील के वकीलों ने एक वीडियो लिंक के जरिए से पेश होकर शिकायत की कि उन्हें रुबियो के पत्र और ट्रंप प्रशासन ने जो इस हफ्ते कॉमन्स को जो सबूत सौंपे उसकी समीक्षा करने के लिए 48 घंटे से भी कम समय दिया गया था.