जमीन के बदले 'विकसित प्लॉट', इकोनॉमिक कॉरिडोर के लिए राजी हुए किसान, 120 बीघा जमीन देने पर बनी सहमति

इंदौर: मध्य प्रदेश में इंदौर-पीथमपुर इकोनॉमिक कॉरिडोर के किसान जमीन देने के लिए राजी हो रहे हैं। एमपीआईडीसी ने कल दो विधायकों और जमीन मालिकों के साथ बैठक की। कुछ जमीन मालिकों ने मौके पर ही करीब 40 बीघा जमीन देने के सहमति पत्र पर हस्ताक्षर किए। अब तक 120 बीघा जमीन देने पर सहमति बन गई है। एमपीआईडीसी कार्यालय में हुई बैठक में विधायक उषा ठाकुर, मधु वर्मा और इंदौर-पीथमपुर इकोनॉमिक कॉरिडोर के 50 से अधिक जमीन मालिक और किसान मौजूद थे। परियोजना का प्रजेंटेशन देकर कई लोगों की शंकाओं का समाधान किया गया। यह पूछे जाने पर कि यह कब तक पूरी होगी, एमपीआईडीसी के कार्यकारी निदेशक राजेश राठौर ने कहा कि जमीन मिलने के बाद दो साल में परियोजना पूरी हो जाएगी। पहली बार सरकार किसी योजना में 60 प्रतिशत विकसित जमीन दे रही है। कॉरिडोर के पूरा होने से क्षेत्र और इंदौर के विकास को नई उड़ान मिलेगी। बच्चों को रोजगार मिलेगा। समय पर पूरा होने की उम्मीद
एमपीआईडीसी के कार्यकारी निदेशक राजेश राठौर ने बैठक में भू-स्वामियों के हर सवाल का जवाब देते हुए स्पष्ट किया कि यह परियोजना तय समय सीमा में पूरी होगी, जिससे किसानों को ज्यादा इंतजार नहीं करना पड़ेगा। साथ ही, उन्हें जो विकसित भूखंड मिलेंगे, उनका उपयोग वे तुरंत शुरू कर सकेंगे। भू-स्वामियों ने भी इस बात पर संतोष जताया कि परियोजना समय पर पूरी होने की उम्मीद है।
रोजगार के अवसर मिलेंगे
उन्होंने कहा कि इससे न केवल उन्हें आर्थिक लाभ होगा, बल्कि उनके बच्चों के लिए रोजगार के नए अवसर भी पैदा होंगे। किसानों का कहना है कि पहले डर था कि जमीन चली जाएगी और बदले में जो मिलेगा, वह पर्याप्त नहीं होगा, लेकिन अब स्थिति स्पष्ट हो गई है और अब जब हमें 60 प्रतिशत विकसित भूखंड मिलने की गारंटी दी जा रही है, तो हम इस परियोजना का हिस्सा बनने के लिए तैयार हैं।
समय पर सहमति दर्ज कराएं
राजेश राठौर ने कहा कि हमारा उद्देश्य किसानों के हितों को सर्वोपरि रखते हुए इस परियोजना को मूर्त रूप देना है। यह एक ऐसा मॉडल है, जिसमें किसानों को न केवल अपनी जमीन का उचित मूल्य मिलेगा, बल्कि वे औद्योगिक विकास में भी भागीदार बनेंगे। इसलिए समय रहते अपनी सहमति दर्ज कराएं और इस ऐतिहासिक बदलाव का हिस्सा बनें। इस परियोजना को सफल बनाने के लिए जिला प्रशासन भी तेजी से कार्रवाई कर रहा है। एसडीएम राव गोपाल वर्मा ने ग्राम रिजलाय में अलग से बैठक की, जिसमें कई भू-स्वामियों ने भाग लिया। इस बैठक में सकारात्मक चर्चा हुई और किसानों ने परियोजना के प्रति उत्साह दिखाया। प्रशासन का प्रयास है कि हर किसान की सहमति बिना किसी दबाव के उनकी इच्छानुसार ली जाए।
शासन और प्रशासन का पूरा सहयोग
बैठक में महू विधायक उषा ठाकुर ने किसानों का उत्साहवर्धन करते हुए कहा कि मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने किसानों की हर मांग को पूरा किया है। ऐसा पहली बार हो रहा है कि जमीन देने वाले किसानों को 60 प्रतिशत विकसित भूखंड मिलेगा। यह योजना स्वर्णिम भारत के निर्माण की दिशा में एक कदम है। औद्योगिकीकरण समय की मांग है और इससे हमारे युवाओं को रोजगार मिलेगा। उन्होंने भरोसा दिलाया कि किसानों की छोटी-छोटी शंकाओं के समाधान के लिए प्रशासन और एमपीआईडीसी के अधिकारी हर कदम पर उनके साथ हैं। इस अवसर पर राऊ विधायक मधु वर्मा भी मौजूद थे और उन्होंने परियोजना को क्षेत्र के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण बताते हुए कहा कि यह परियोजना न केवल क्षेत्र के आर्थिक विकास को गति देगी, बल्कि किसानों के लिए आर्थिक समृद्धि का नया द्वार भी खोलेगी।
जिस गांव में जमीन होगी, वहीं पर भूखंड उपलब्ध होंगे
पीथमपुर आर्थिक गलियारा 19.6 किलोमीटर लंबी और 75 मीटर चौड़ी सड़क के दोनों ओर 300-300 मीटर के बफर जोन में विकसित किया जाएगा। इसमें 17 गांवों - नानोद, कोर्डियाबर्डी, रिजलाई, बिसनावाड़ा, नावदापंथ, श्रीरामतलावली, सिंडोरा, सिंडोरी, शिवखेड़ा (रंगवासा), नारलाई, मोकलाय, देहरी, सोनवाई, भैंसलाई, बागोड़ा, धन्नाड़ और टीही की कुल 1331 हेक्टेयर जमीन शामिल है। इस परियोजना की अनुमानित लागत 2410 करोड़ रुपए है और इसे तीन साल में पूरा करने का लक्ष्य है। परियोजना का क्रियान्वयन चरणबद्ध तरीके से किया जाएगा, ताकि विकास कार्य में कोई बाधा न आए। किसानों के लिए सबसे बड़ा आकर्षण यह है कि उन्हें अपनी जमीन के बदले 60 फीसदी विकसित भूखंड मिलेंगे। ये भूखंड फ्रीहोल्ड होंगे, यानी किसान इनका पूरा मालिकाना हक अपने पास रख सकेंगे। ये भूखंड यथासंभव उसी गांव में आवंटित किए जाएंगे, जहां उनकी मूल जमीन है। इससे किसानों को अपनी जड़ों से जुड़े रहने का मौका मिलेगा और वे इन भूखंडों का उपयोग आवास, व्यवसाय या बिक्री के लिए कर सकेंगे।
सहमति देने की प्रक्रिया
भूस्वामी अपनी सहमति एमपीआईडीसी के इंदौर स्थित क्षेत्रीय कार्यालय में प्रस्तुत कर सकते हैं। इसके लिए उन्हें निर्धारित प्रारूप में दस्तावेज प्रस्तुत करने होंगे, जिसकी उन्हें पावती दी जाएगी। सहमति मिलने के बाद एमपीआईडीसी और राजस्व विभाग की टीम जमीन का भौतिक निरीक्षण करेगी और इसके आधार पर रजिस्ट्री एमपीआईडीसी के पक्ष में होगी। रजिस्ट्री से पहले किसानों को शपथ पत्र देना होगा कि जमीन पर कोई कब्जा नहीं है।
समस्या आएगी तो हम मौजूद रहेंगे
विधायक ठाकुर ने किसानों से कहा कि औद्योगिकीकरण समय की मांग है और इससे युवाओं को रोजगार मिलेगा। किसानों की समस्याओं के समाधान के लिए मैं हमेशा मौजूद हूं। वर्मा ने इस योजना को क्षेत्र के लिए गेम चेंजर बताया और कहा कि इससे क्षेत्र के आर्थिक विकास में तेजी आएगी।
दावों और आपत्तियों का अंतिम निराकरण
एमपीआईडीसी ने कॉरिडोर को लेकर दावे और आपत्तियां मांगी थीं, जिसमें 700 लोगों ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई थी। पहले चरण में सभी दावे और आपत्तियों पर सुनवाई की गई। अब सरकार 60 फीसदी विकसित भूखंड देकर जमीन ले रही है, इसलिए बड़ी संख्या में किसान जमीन देने को तैयार हो गए हैं। आपत्तिकर्ताओं की अंतिम सुनवाई मंगलवार को होगी। बताया गया है कि कुछ कॉलोनाइजरों के पास भी जमीन है और वे अड़े हुए हैं।