भारत के वाणिज्यिक बैंकों के इस वित्त वर्ष (वित्त वर्ष 26) में 1.51 लाख करोड़ रुपये के फंसे हुए कर्ज को बट्टे खाते में डालने के आसार हैं। रेटिंग एजेंसी इक्रा के अनुमान के अनुसार बैंक अपने बहीखाते को दुरुस्त करने के लिए यह कदम उठा सकते हैं।

रेटिंग एजेंसी के अनुसार वित्त वर्ष 26 में बैंकों का ऋण करीब 10.8 से 10.9 फीसदी की दर से बढ़कर 20.2 लाख करोड़ रुपये होने की उम्मीद है। एजेंसी ने पहले ऋण में 9.7 से 10.3 फीसदी की वृद्धि होने का अनुमान जताया था।
अनुमान है कि बैंकों की वृद्धिशील ऋण विस्तार करीब 19 लाख करोड़ रुपये से 20.5 लाख करोड़ रुपये होने का अनुमान है जबकि यह वित्त वर्ष 25 में 18 लाख करोड़ रुपये था। नीतिगत रीपो दर में कुल मिलाकर 75 आधार अंक कटौती की उम्मीद जताई जा रही है, जो फरवरी 2025 से शुरू हो चुकी है। हालांकि इक्रा को वित्त वर्ष 2026 में बैंकों का शुद्ध ब्याज मार्जिन 15 से 17 आधार अंक घटने का अनुमान है।

भारतीय रिजर्व बैंक नियमों के नियामकीय प्रावधानों में राहत देने से ऋण वृद्धि बढ़ी है। रेटिंग एजेंसी के अनुसार घरेलू अर्थव्यवस्था में ब्याज में कटौती और शुद्ध ब्याज आय (एनआईआई) दबाव में रहने के कारण लाभप्रदता में कुछ आधार अंक की कटौती आ सकती है लेकिन यह सहज दायरे में रहेगी।