नौकरशाह की लापरवाही के चलते, मध्य प्रदेश जनसंपर्क विभाग में हुई कुर्की की कार्यवाही, अधिकारी अफसर हुए गायब
जिस विभाग का काम राज्य सरकार की छवि चमकाने, सरकारी योजनाओं के फायदे का बखान कर उन्हें जन-जन तक पहुंचाना हैं, हर वह काम करना हैं जिससे सरकार के मुखिया की वाहवाही हो, ये विभाग हैं जनसंपर्क। यही वजह है कि ज्यादातर मुख्यमंत्री इस अहम विभाग को अपने पास ही रखते हैं और अपने चहेते विश्वास प्राप्त नौकरशाह को कमिश्नर की सीट पर विराजित करते हैं। इससे मीडिया पर नियंत्रण रहता है तथा सरकारी खबरें प्रमुखता से प्रकाशित करने में सहूलियत होती है।
मध्य प्रदेश का जनसंपर्क विभाग भी इससे अछूता नहीं है फिलहाल जनसंपर्क विभाग प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव के पास ही है। कई बार यह भी देखने में आया है कि जनसंपर्क आयुक्त का हठधर्मी रवैया एवं चहेतों को उपकृत करने की नीति एवं लापरवाही के चलते जहां सरकार की छवि धूमिल हुई है तो वही विभाग की कार्यशैली पर सवाल भी उठते हैं। जनसंपर्क विभाग से संबंधित एक ऐसा मामला सामने आया है जिससे पता चलता है कि एक नौकरशाह की तानाशाही किस कदर विभाग की थू थू करवाती है। यह मामला तत्कालीन जनसंपर्क आयुक्त पी नरहरि के कार्यकाल का है, उस समय राज्य सरकार की उपलब्धियों का गुणगान करने वाली फिल्में बनाने के लिए 10 कंपनियों को काम सौंपा गया। निविदा की शर्तों के मुताबिक इन सभी कंपनियों ने अपने काम को अंजाम दिया और संबंधित समिति द्वारा प्रस्तावित सभी तरह के संशोधनों को शामिल कर वीडियो स्पॉट्स फिल्मों को अंतिम कर भुगतान का अनुरोध किया गया। लेकिन आयुक्त पी नरहरि ने अपने निजी स्वार्थों के लिए कंपनियों के भुगतान पर बेवजह एवं बेकारन रोक लगा दी। संतोष जनक उत्तर प्राप्त न होने पर फिल्में बनाने वाली चार कंपनियों ने अठारहवें व्यवहार न्यायाधीश वरिष्ठ खंड भोपाल में पीठासीन अधिकारी के समक्ष वाद प्रस्तुत कर दिया और यह मांग की गई कि उनके मेहनताने की राशि जो तकरीबन एक करोड़ के आसपास होती है वसूल की जाए। जांच पड़ताल के बाद पीठासीन न्यायाधीश लोकेश तारण ने इन कंपनियों के पक्ष में जनसंपर्क विभाग के खिलाफ कुर्की करने का आदेश जारी कर दिया। इसी आदेश पर दिनांक ११ फरवरी को कुर्की की कार्यवाही हुई। इस दौरान सभी वरिष्ठ अफसर यह वहां भागते नजर आए और अपने कमरों पर ताले जड़ दिए, लेकिन बावजूद इसके कुर्की की कार्यवाही हुई। यह विभाग वर्तमान में मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव के पास है और विभाग की कुर्की हुई जो कि जनसंपर्क विभाग के लिए अपमानजनक वाकया हैं। फिलहाल इस पर सरकार का पक्ष अभी तक सामने नहीं आया हैं।
माननीय न्यायाधीश ने कुर्की के साथ ही जनसंपर्क विभाग पर पेनल्टी भी लगाई है। अब देखना दिलचस्प होगा कि क्या प्रदेश के मुखिया डॉ मोहन यादव, सरकार की छवि धूमिल करने के लिए पी नरहरी पर विभागीय कार्यवाही करेंगे या नहीं और साथ ही अपने निजी स्वार्थ के कारण वर्षों तक कंपनियों का पैसा रोकने वाले IAS अफसर पी नरहरी से पेनाल्टी के रूप में ब्याज की राशि वसूलेंगे ? क्योंकि कही न कही इस पूरे घटनाक्रम से सरकार की छवि भी खराब हुई और साथ ही वित्तीय नुकसान तो हुआ ही हैं।
ये हैं मामला: जनसंपर्क विभाग ने 18.6.2018 को फिल्म निर्माण विभाग द्वारा पैनलबद्ध चार संस्था अल्युमिनि संगठन नई दिल्ली, मेसर्स बॉलीवुड टीवी भोपाल, स्वाति प्रोडक्शन नई दिल्ली एवं खोजी पिक्चर्स नई दिल्ली को 21 वीडियो स्पॉट निर्माण के कार्यआदेश दिए थे। फिल्में तो सभी संस्थाओं ने निश्चित समयसीमा में बनाकर प्रस्तुत कर दी गई जिसे जनसंपर्क विभाग द्वारा स्वीकार किया गया, लेकिन आज ७ वर्ष बीत जाने के बाद भी २०२५ तक संस्थाओं का भुगतान नहीं किया गया।